एकाधिकारी पूँजीवाद प्रकृति और चरित्र से ही जनवाद-विरोधी होता है।
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क्योंकि वास्तविक सम्पत्ति वित्तीय एकाधिकारी पूँजीवाद के इस दौर में शेयरों और
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क्योंकि वास्तविक सम्पत्ति वित्तीय एकाधिकारी पूँजीवाद के इस दौर में शेयरों और हिस्सेदारियों में निहित होती हैं।
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इन्हीं परिवर्तनों का अध् ययन लेनिन ने किया और वित्तीय एकाधिकारी पूँजीवाद के उदय को साम्राज्यवाद की संज्ञा दी।
5.
जर्मनी में पूँजीवादी विकास बैंकों की पूँजी की मदद से शुरू हुआ और उसका चरित्र शुरू से ही एकाधिकारी पूँजीवाद का था।
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इसलिए साम्राज्यवाद का सिद्धांत लेनिन द्वारा विकसित किया गया, मार्क्स द्वारा नहीं क्योंकि वित्तीय एकाधिकारी पूँजीवाद केवल लेनिन के जीवनकाल में ही समुचित रूप में अस्तित्व में आया।
7.
जर्मनी में राष्ट्रीय पैमाने पर पूँजीवाद का विकास ही तब शुरू हुआ जब विश्व पैमाने पर पूँजीवाद साम्राज्यवाद, यानी कि एकाधिकारी पूँजीवाद, के दौर में प्रवेश कर चुका था।
8.
पूँजीवादी विकास ' के रास्ते पर डाल दिया, जिसका नतीजा यह हुआ कि इन देशों में स्वाधीनता की जगह परनिर्भरता की, जनतंत्र की जगह तानाशाही की, मिश्रित अर्थव्यवस्था की जगह एकाधिकारी पूँजीवाद को बढ़ावा देने की, सार्वजनिक क्षेत्र को सीमित करके निजी क्षेत्र को बढ़ाने आदि की प्रवृत्तियाँ पैदा हुईं।
9.
हाँ, लेकिन जिस तरह पूँजीवाद अपने उदयकाल के समय का पूँजीवाद नहीं रह गया है-व्यापारिक पूँजीवाद, औद्योगिक पूँजीवाद, साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद, एकाधिकारी पूँजीवाद जैसे उसके विभिन्न रूप रहे हैं और आज वह नव-उदारवाद या बाजारवाद के नये रूप में मौजूद है-उसी तरह समाजवाद और मार्क्सवाद के भी विभिन्न रूप रहे हैं।